मैं सिर्फ जीभ नहीं हूं, मैं कामुक आनंद का स्वामी हूं। मैं उसकी गर्म, दुबली महिमा के हर इंच का स्वाद लेते हुए, उसमें गहराई से डूब जाता हूं। जैसे ही मैं उसे कगार पर लाता हूं, उसकी कराहें गूंजती हैं, जिससे उसकी सांसें थम जाती हैं और वह और अधिक तरसने लगती है।